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Vimla Jain

Tragedy Action Inspirational

4.5  

Vimla Jain

Tragedy Action Inspirational

भूख जीवन का सत्य

भूख जीवन का सत्य

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भूख – जीवन का सत्य जन्मते ही शिशु का रोना, भूख का पहला संकेत।
 पक्षी दाना चोंच में लाते, गाय बछड़े को करती तृप्त।
 गरीब मजदूरी कर थका, परिवार को देता रोटी।
 सभी कर्मों का मूल आधार – भूख ही जीवन की जड़।
 "पेट करावे वेठ" कहावत सत्य है, पढ़ाई से लेकर रोज़गार तक, हर प्रयास के पीछे भूख की अग्नि जलती है।
 हम आशीर्वाद भी देते हैं – "खाओ-पीयो, सुखी रहो।" जीवन की तीन अवस्थाएँ – बाल्य में असीम भूख, युवा में श्रम और ज़िम्मेदारी की भूख, वृद्धावस्था में भक्ति की भूख। भूख अनेक रूपों में है – ज्ञान की, धन की, प्रेम की, मान-सम्मान और शांति की, पर सबसे पहले – पेट की भूख। "बुभुक्षाज्ञ: किम् न करोति पापम्" – भूखा मनुष्य पाप से भी नहीं डरता।
 भूखे पेट भजन न हो पाते, पहले रोटी फिर भक्ति आती। कवि ने भी कहा – "गाय खाती कीड़े, पेड़ गिराते पत्ते, भूख मिटाने हर जीव जूझता।
" भूख कठोर है, इंसान कठोर नहीं।
जीवन की धड़कन भूख से ही है, पेट भरना ही प्रथम धर्म है।  
स्वरचित कविता


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