स्व की खोज इस आधुनिक युग में
स्व की खोज इस आधुनिक युग में
स्व की खोज
— सबसे गहरी यात्रा
मनुष्य ने धरती से अंतरिक्ष तक सब खोज लिया।
दुनिया बदली, साधन बदलते गए।
पर एक खोज आज भी अधूरी है —
खुद को जानने की खोज।
“मैं कौन हूँ?”
“मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है?”
यह प्रश्न ही मानव की सबसे पुरानी और सबसे अनमोल यात्रा है।
मोबाइल, इंटरनेट, सैटेलाइट — ये बाहरी दुनिया दिखाते हैं,
पर आत्मज्ञान मन के ब्रह्मांड को उजाला देता है।
ध्यान, मौन, आत्मचिंतन, सद्ग्रंथ —
ये उपकरण हैं स्व को जानने के।
चाहे सुविधाएँ कितनी भी बढ़ जाएँ,
मन की शांति — भीतर से ही मिलती है।
तकनीक जीवन आसान करती है,
पर स्व-ज्ञान जीवन को अर्थ देता है।
बाहरी प्रगति सुंदर है,
पर अंतरात्मा का उजियारा ही असली स्वर्ग है।
🌼 कविता — “स्व की खोज”
उड़ान भर ली नभ के पार,
धरती का हर रूप निहारा;
पर जिसने मन को टटोला,
वही सच में खुद को पुकारा।
सुविधाएँ दीं मशीनों ने,
पर पथ आत्मा का गहरा है;
जग में ज्ञान अनंत सही,
स्व का ज्ञान ही सहेजा है।
भीतर की लौ जल उठे जब,
मिलता सत्य और जीवन-सार;
स्व की खोज ही सबसे सुंदर।
—
यहीं मिलता असली संसार।
