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Vimla Jain

Tragedy Action Classics

4.3  

Vimla Jain

Tragedy Action Classics

चांद भी क्या करें चांदनी को कैसे मनाए

चांद भी क्या करें चांदनी को कैसे मनाए

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चांद भी आखिर क्या करें बार-बार में मौसम बदले बे मौसम की बरसात हो जाए।
  तूफान के कारण बादल घिर आए।
  वह भी आकाश में निकल ना पाए।
  तो चांदनी उस से रूठ ही जाए ना।
  वह चांदनी को कैसे मनाए। क्योंकि खुद ही बादलों से घिर-घिर अपनी रोशनी खो जाए। आसमान अंधेरे में गुम हो जाए। फिर वह चांदनी को कहां से लाए और कैसे उसको मनाए
 तो चांदनी तो रूठ ही जाए ना स्वरचित कविता


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