शब्दों के पंख होते हैंअफवाहें
शब्दों के पंख होते हैंअफवाहें
हम कहते हैं अगर शब्दों के पंख होते तो
मगर मुझे तो लगता है कि शब्दों के पंख होते हैं
अगर नहीं होते एक सीधी-सादी कही हुई बात दूसरे तक अफवाह और पूरी तोड़ मरोड़ के कैसे पहुंचा दी जाती है।
सुनी सुनाई बातों से दंगे और झगड़े कैसे हो जाते हैं।
जिससे अर्थ का अनर्थ हो जाता है और सदियों तक कोई ध्यान नहीं रखता है तो है वैसा ही करता है ।
शब्द रूपी माला एक ऐसी मालाहै शब्दों में सुंदर शब्दों में पिरो कर बात करी जाए तो सुंदर माला बन जाती है।
और गलत शब्दों को माला में पिरोया जाए तो हथियार की धार से भी ज्यादा बड़े धारदार हथियार बन जाए बन जाते हैं।
महाभारत युद्ध शब्दों के बाण से ही शुरू हुआ यह सभी जानते हैं।
गलत शब्द बोले गए वह पंख लगाकर उछाले गए शब्दों के बराबर क्यों हो जाते हैं।
ऐसा मेरा मानना है
कभी-कभी हम कुछ कहना चाहते हैं और सामने वाला हमारे मन की बात समझ लेता है जिसको हम टेलीपैथी कहते हैं ।
उसी को अगर हम दूसरी भाषा में कहें तो हमारे शब्दों को पंख लग कर सामने वाले के मन में पहुंच गए और उसने उसको ग्रहण कर लिया इसीलिए शब्दों के पंख होते हैं।
अगर होते तो नहीं ,होते हैं, ऐसी मेरी सोच है
स्वरचित वैचारिक कविता
