शिकवे शिकायतें छोड़ नई शुरुआत कर जाते हैं
शिकवे शिकायतें छोड़ नई शुरुआत कर जाते हैं
आओ प्रिय एक नई शुरुआत कर जाते हैं।
जीवन संध्या के समय एक दूसरे का हाथ पकड़ कर हम चल जाते हैं।
आओ हम एक नई शुरुआत कर जाते हैं।
जिम्मेवारियों को निभाते हुए हमने जिंदगी बहुत जी है।
बच्चों के मां-बाप , मां-बाप के बच्चे वह सब भाई बहनों के और रिश्तेदारों के रिश्तेदार बनकर हमने दूसरों के हिसाब से बहुत जी है।
सारे फर्ज निभा लिए हैं चलो आज इस जीवन संध्या में हम अपने हिसाब से अपनी खुशी से, अपनी पसंद से, अपनी जिंदगी जी जाते हैं।
कुछ ऐसे काम करते हैं जो दिल को पसंद आए जो आज तक हमने नहीं करें वह काम हम कर जाते हैं।
एक दूसरे का साथ पा अपने आप को खुश नसीब हम मानते हैं।
लोगों की भी मदद हो जाए साथ में नए तरीके से हम जीवन जी जाते हैं।
कोई भी हमको बेचारा ना समझे अपने स्वाभिमान को हमेशा बरकरार रखेंगे।
चलो अपन वापस एक नई जिंदगी की शुरुआत कर जाते हैं, एक दूसरे के साथ वापस पुराने दिन याद कर जाते हैं।
चलो अपन वापस एक नई शुरुआत कर जाती है
जिंदगी को अपनी शर्तों पर जी जाते हैं।
जीवन संध्या के अवसर पर एक दूसरे के हमसफर से दोस्त बन जाते हैं।
सारी शिकायतें जो कभी रही हो उन्हें भुला एक नई दोस्ती की शुरुआत कर जाते हैं।
जिसमें कोई शिकवे शिकायतें ना हो खाली दोस्ती और प्यार हो ऐसा जीवन जी जाते हैं।
आओ प्रिय, एक नई शुरुआत कर जाते हैं,
जीवन संध्या में हाथ थाम, संग-संग चल जाते हैं।
अब तक जिम्मेदारियों में जीवन बिता दिया,
सबका साथ निभाया, हर फर्ज अदा किया।
माँ-बाप के संतान बने, बच्चों के अभिभावक,
रिश्तों की परछाईं में खुद को रखा ओझल।
पर अब, चलो खुद को भी जीकर देख आते हैं,
अपनी पसंद, अपनी राहें, अपने सपने सजाते हैं।
कुछ ऐसे काम करें, जो दिल को भा जाएँ,
जो अब तक न किए, वे सब आजमाएँ।
तेरा साथ पाकर, खुद को भाग्यशाली मानते हैं,
साथ-साथ चलें, और नई राहें बनाते हैं।
अपने स्वाभिमान को सदा संजोए रखेंगे,
किसी की दया के पात्र कभी ना बनेंगे।
चलो, फिर से एक नई दुनिया बसाते हैं,
पुरानी यादों को जीकर मुस्कुराते हैं।
संध्या के इस मधुर पल में,
हमसफ़र से सच्चे दोस्त बन जाते हैं।
शिकवे-शिकायतों को अब पीछे छोड़ आते हैं, वह जो अधूरी सी बातें हमने कही थी या तुमने कही थी जो हमने नहीं सुनी ,तुमने नहीं सुनी उन सबको पीछे छोड़ आते हैं।
जीवन संध्या के इस अवसर पर सारे शिकवे शिकायत में छोड़ जाते हैं
प्यार और दोस्ती से नया संसार बसाते हैं।
हर लम्हा जिएँगे, अपनी शर्तों पर,
चलो, प्रिय, एक नई शुरुआत कर जाते हैं।
स्वरचित वैचारिक कविता
