सैनिक- एक देश सेवक
सैनिक- एक देश सेवक
कार्य है ये सौभाग्य का ।
कर्म के अभिप्राय का।।
निज स्वार्थ से रहित।
देश सेवा के भाव का।।
है वीर है जो खड़े।
नित तीनों पहर रात-दिन।।
निज जीवन का जो त्याग कर।
छोड़ बैठे है क्षण आनंद भर।।
सियाचिन का हो सिरा।
कोई वीर दुश्मन से हो घिरा।।
दुश्मन का तब वो काल है।
साथ उसके महाकाल है।।
अंतिम पंक्ति का यही सार है।
इस देश पर सैनिक का उधार है ।।
