जा जवान जा
जा जवान जा
जा जवान जा,
देश का झंडा फहरा,
फिर चाहे तेरी ज़िन्दगी,
ही क्यों न चली जाए।
जा जवान जा दुश्मन मुल्क,
को खून के आँसू रुला,
फिर चाहे तेरी माँ ही क्यों ना,
बिलख-बिलख कर रोए।
जा जवान जा,
अपने राष्ट्र की सुरक्षा कर,
फिर चाहे तेरी पत्नी ही,
क्यों न असुरक्षित महसूस करे।
जा जवान जा,
रिपू का दमन करके आ,
फिर चाहे तेरे बच्चों के,
सुनहरे भविष्य का,
दमन ही क्यों न हो जाए।
जा जवान जा,
देश का झंडा फहरा,
फिर चाहे तू ही क्यों न,
तिरंगे में लिपट कर घर आ।
जा जवान जा !