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Himani Bhardwaj

Action Inspirational

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Himani Bhardwaj

Action Inspirational

एक सैनिक की कहानी

एक सैनिक की कहानी

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आज संदेशा फिर आया है,

लगता है सरहद पर फिर कोई दुश्मन आया है।


रुकना तो चाहता हूँ अपनों के पास,

पर नहीं तोड़ सकता धरती माँ का विश्वास।


होता है जब यूँ सरहद पर जाना,

बोलती है माँ, "बेटा लौट के आना।"


पर क्या उसके मन में डर नहीं होता,

फिर भी हँसके कहती है,

"बेटा हर कोई चैन से यूँ ही नहीं सोता।"


सोचता हूँ आज़ादी को बीत गए कई साल,

फिर भी क्यों मचता है ये सरहद पर बवाल।


सदिओं से चली आ रही ये जंग है,

फिर भी देखता हूँ सबकी ऑंखें बंद है।


जब भी 15 अगस्त का दिन है आता,

लाल क़िले पर है झंडा लहराता।


यूँ तो वो खुद ही अपनी आज़ादी का गीत है गाता,

पर फिर भी वो आतंक का डर है संग में लाता।


खून तो बहुत बहे इस आज़ादी के लिए,

पर क्या थे तैयार हम इसके लिए।


बाँट दिया खुद को दो मुल्कों में,

और आज तक खड़े हैं हाथ मिलाने को।


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