इस दिल के रंग हजार
इस दिल के रंग हजार
इस दिल के रंग हजार हैं।
कभी दुख कभी सुख कभी तकलीफ कभी डर का रंग है।
कभी प्रेम कभी घृणा कभी द्वेष
यह दिल है हमारा दिन-रात धड़कता रहता है।
हर सेकंड धड़कता रहता है।
जब तक धड़कता है तब तक है सांसे।
जिस दिन यह धड़कना भूल गया हमारी सांसे भी जाएंगी उखड़।
और टूट जाएगा नाता हमारा इस संसार से।
इसीलिए इंसान सोचता है जितनी जिंदगी हम जी लें
वह अच्छी तरह ही जी लें।
और उसी चक्कर में अपने दिल के ऊपर अनचाहा बोझ हम डालते रहते हैं।
इस दिल के रंग हजार हैं
कभी दुख का ,कभी तकलीफ का, और कभी प्यार का, कभी खुशी कभी डर का सभी को सहन करता करता है।
फिर भी चलता रहता है हमारे जिंदगी के हजारों जुर्म सहता रहता है और जिंदगी के हजारो रंग के साथ भी यह चलता रहता है।
और यह दिल बेचारा।
और इंसान जिंदगी भर पैसे के पीछे भागता ही रहता है इस दिल पर अन्याय करता ही रहता है।
खुशी में भी धड़कन तेज और दुख में तो डरता ही रहता है।
और दुश्चिंताएं के कारण
डरता हुआ दुष्चिंताओं का मारा सब कुछ सहन करता रहता है।
इस पर हम बहुत अन्याय करते हैं।
दिल बेचारा दुश्चिंता ओं का मारा।
जरा जरा सी बात पर बेचैन हो जाता।
कभी परीक्षा का रिजल्ट ।
कभी खून के जांच का रिजल्ट।
कभी नौकरी के इंटरव्यू का रिजल्ट।
कभी कोई समय से ना आया हो ।
कभी कोई समाचार ना आया।
है दुश्चिंताओं में भरा यह दिल।
इतना बेचैन हो उठता है कि ,
जब तक सब सही नहीं हो।
शांत होने का नाम नहीं लेता।
जरा जरा सी बात पर धड़कन में बढ़ाने लगता।
फिर एक दिन मैंने मेरे दिल को समझाया
क्यों रे जीवड़ा तू इतना बेचैन रहता ।
थोड़ा भगवान पर भरोसा कर,
जो होगा है अच्छा होगा।
आने वाली आफत से क्या घबराना।
हिम्मत से काम ले कुछ भी बुरा नहीं होगा।
है तेरा ईश्वर तेरे साथ फिर यह घबराना कैसा।
अगर एक जगह कुछ तकलीफ है तो,
दूसरी जगह उसका हल भी है।
इसलिए ए बेचैन दिल तू घबराना छोड़ दे ।
और मैंने घबराना छोड़ दिया।
अब तो जो परिस्थिती होगी उससे निकलेंगे।
कभी ना हम घबराएंगे ।
हर परिस्थिति से निकल ही जाएंगे।
स्वरचित कविता
