STORYMIRROR

हूँ मनुष्य ! क्रोध भी रखता हूँ

हूँ मनुष्य ! क्रोध भी रखता हूँ

1 min
326


है मान नहीं मुझ को जीवन जीने का

हूँ शैव, है मुझ में साहस विष पीने का


है स्वभाव तरल, पर कठोर नीर भी होता है

संयम से बैठा सागर कभी अधीर भी होता है


शांत जलधि मन को जो भाता है

अतः क्रोध में प्रलय वही लाता है


चंदन का प्रभाव तो शीतल होता है

उस पर लिपट सर्प चीतल सोता है


पुष्प गुलाब बर्ताव सुगंधित करता है

पर बचने को शूल संगठित करता है


हूँ मनुष्य यूँ मैं प्रेम बोध ही रखता हूँ

रक्षित हो सम्मान अतः क्रोध भी रखता हूँ


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action