Prateek Tiwari (तलाश)
Tragedy
आँखें अब हैं ख़ामोश मेरी
लफ़्ज़ कहीं खो से गये हैं
अरमान थे जो दिल में मेरे
वो भी कहीं सो से गये हैं
अब न जज़्बात न ही उम्मीद
साधु, तेरे प्यार में हो से गये हैं
क़ुदरत
मुलाक़ातें
तेरी याद
तेरा प्यार
संसार
आदमी
परिंदे घर से ...
मुझे चुप ही र...
नेता जी ! सुन...
क्यों कहें निज हस्त खुद को, मौत मुंह में टाँगते हैं ? क्यों कहें निज हस्त खुद को, मौत मुंह में टाँगते हैं ?
तेरे लंबे बाल और गुलपोशी के चर्चे हर जगह थे खुबसूरती बेहद थी तुझमें पर पहरे हर जगह थे. तेरे लंबे बाल और गुलपोशी के चर्चे हर जगह थे खुबसूरती बेहद थी तुझमें पर पहरे ह...
बस जन्म जहाँ परिचायक हो, फिर चाहे योग्य या नालायक हो। बस जन्म जहाँ परिचायक हो, फिर चाहे योग्य या नालायक हो।
मैं तेरी-मेरी बातों के, अल्फ़ाज़ ही वापस लेती हूँ। थक आज गयी हूँ मैं इतना, कि थकान भी वापस लेती हूँ... मैं तेरी-मेरी बातों के, अल्फ़ाज़ ही वापस लेती हूँ। थक आज गयी हूँ मैं इतना, कि थ...
#JusticeForPriyankaReddy पॉलिटिक्स का एक नया कारण बन गई, मेरी कहानी को निर्भया, अशिफ़ा के साथ जोड़ गय... #JusticeForPriyankaReddy पॉलिटिक्स का एक नया कारण बन गई, मेरी कहानी को निर्भया,...
संसद में हो या गलियों में, नारी का अपमान गलत है । संसद में हो या गलियों में, नारी का अपमान गलत है ।
अपने घर का हाल देखकर,चुप रहना मत रोना अम्मा । अपने घर का हाल देखकर,चुप रहना मत रोना अम्मा ।
तड़पने वाले को उसके हाल पर छोड़कर निकल जाता हूँ मैं कुछ रूह का हिस्सा दफना कर आ जाता हू तड़पने वाले को उसके हाल पर छोड़कर निकल जाता हूँ मैं कुछ रूह का हिस्सा दफना कर ...
मन में कष्टों को बंधी किए, जीवन की एक उमंग हूं मैं, पुरुष हूं मैं। मन में कष्टों को बंधी किए, जीवन की एक उमंग हूं मैं, पुरुष हूं मैं।
कितने तो आँसू बहे होंगे इन आँखों से, घर ये खारे पानी का। कितने तो आँसू बहे होंगे इन आँखों से, घर ये खारे पानी का।
घर घर जाके सबको हम सपना यही दिखाएंगे अच्छे दिन आएँगे, अच्छे दिन आएँगे। घर घर जाके सबको हम सपना यही दिखाएंगे अच्छे दिन आएँगे, अच्छे दिन आएँगे।
हां दर्द दिल में उठता है..कैसे कह देते हो तुम फिर भी मैं पराई हूं। हां दर्द दिल में उठता है..कैसे कह देते हो तुम फिर भी मैं पराई हूं।
छाती से चिपकाकर सुधियाँ पीड़ाओं ने लोरी गायी ! छाती से चिपकाकर सुधियाँ पीड़ाओं ने लोरी गायी !
तथा स्क्रीन पर आ गए भगत, सुभाष और अन्य वीर क्रांतिकारी। तथा स्क्रीन पर आ गए भगत, सुभाष और अन्य वीर क्रांतिकारी।
उसकी देह पर दो फटे पुराने कपड़े थे हाथ में एक रोटी का टुकड़ा..। उसकी देह पर दो फटे पुराने कपड़े थे हाथ में एक रोटी का टुकड़ा..।
जब जाती हूं थक... तो निकल जाती हूं घर से बाहर। जब जाती हूं थक... तो निकल जाती हूं घर से बाहर।
कुछ भी करें आज़ाद है अब तो हम, अधिकार ही हैं,फर्ज़ कहाँ मानते हैं। कुछ भी करें आज़ाद है अब तो हम, अधिकार ही हैं,फर्ज़ कहाँ मानते हैं।
सड़क काली हो या भूरी जहां से भी निकलती है स्याह कर देती है। सड़क काली हो या भूरी जहां से भी निकलती है स्याह कर देती है।
औंधी पड़ी हुई धरती पर, निपट अभागिन छाँव। औंधी पड़ी हुई धरती पर, निपट अभागिन छाँव।
बस एक अजीब सी ख़ामोशी है यहाँ, एक ठहरा हुआ समय हो जैसे। बस एक अजीब सी ख़ामोशी है यहाँ, एक ठहरा हुआ समय हो जैसे।