भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार
हमारे देश का ये एक अभिशाप है
प्रत्यक्षदर्शी भी अन्धे बन जाते
तब ऐसा लगता है मेरे देश का
ये कैसा इंसाफ है
न्याय न्याय वो करते जाते
जिनके छत पर ना छत है ना आस है
न्याय फिर मिल जाता उनको
सत्ता, पैसा और महल जिनके पास है
प्रशासन भी साथ उन्हीं का देती
जिनसे उनकी पैसों की बुझती प्यास है
न्याय कहाँ मिला यहाँ उसे
जिन्हें रोटी कपड़े की हमेशा तलाश है
देख देख कर ये दुर्गति
होता है मुझे दुख अपार
भ्रष्टाचार कम नहीं हुआ अगर
एक दिन भारत का विनाश है
पर कुछ तो अच्छा हुआ देश में
अब दिख रहा कुछ साल में
मोदी जी गर रहे सलामत
ये उनका बेहतर प्रयास है