भरी जत्रा जंगलमा
भरी जत्रा जंगलमा
भरी जत्रा जंगलमा
जमा भया सब जीव।
सिंहजीको अध्यक्षमा
बनी योजना आखीव।।१।।
बन्या दुकान जत्रामा
लगायके मोठा तंबू।
हरीणको हातखाल्या
पानी पिवनला चंबू।।२।।
हत्ती आपलो तंबूमा
एक खोलसे हॉटेल।
बड़ा सुवारी संगमा
बिकं पोवारी ऑटेल।।३।।
भालू समोसा कचोरी
तरं ठेयके तेलुता।
मिठ्ठू आवं लेनसाती
पह्यनके मोठो जुता।।४।।
रंग रंगको फुगाकी
सजी ससाकी दुकान।
मंगं लगती लेनला
पिल्लू प्राणीका नहान।।५।।
वहां चालाक कोल्या बी
बिकं दुकानमा चना।
चित्ता फिरावं जत्रामा
मोठो आकाश पारना।।६।।
करं बंदर तमाशा
बंदरीला धरकर।
पिल्लू देखत प्राणीका
पाठपर चढ़कर।।६।।
बाघ खोलसे सर्कस
टुरू पोटूला धरके।
देख रहीसे जिराफ
वऱ्या मानला करके।।७।।
रेकार्डिंग डाँस होतो
एक तंबूमा मोरको।
जंगलको प्राणीसाती
चलं संगीत जोरको।
