रिश्तो की पोटली
रिश्तो की पोटली
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ये रिश्तो की पोटली , बड़ी होती है अनमोल
कभी पिता तो कभी माँ , तरह-तरह के इसके बोल
भाई हमेशा प्यार लुटाये , छोटी बहना फुली ना समाए
नन्ही परी है प्यारी बहना , है वो पुरे घर का गहना
चाचा जी की बात निराली , पान खाते ज़र्दा वाली
चाची जी तो लगती मोटी , आँखे उनकी छोटी छोटी
मामा जी है प्यार लुटाते , भगिनी भगिना पास बुलाते
मामी जी पकवान बनाती , सुन्दर से वो थाल सजाती
नानी के घर हम जब जाते , धमाचौकड़ खुब मचाते
दादा दादी से कोई ना प्यारा , प्रेम है उनका जग से न्यारा