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Kanchan Prabha

Children Stories

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Kanchan Prabha

Children Stories

रिश्तो की पोटली

रिश्तो की पोटली

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ये रिश्तो की पोटली , बड़ी होती है अनमोल

कभी पिता तो कभी माँ , तरह-तरह के इसके बोल

भाई हमेशा प्यार लुटाये , छोटी बहना फुली ना समाए

नन्ही परी है प्यारी बहना , है वो पुरे घर का गहना

चाचा जी की बात निराली , पान खाते ज़र्दा वाली

चाची जी तो लगती मोटी , आँखे उनकी छोटी छोटी

मामा जी है प्यार लुटाते , भगिनी भगिना पास बुलाते

मामी जी पकवान बनाती , सुन्दर से वो थाल सजाती

नानी के घर हम जब जाते , धमाचौकड़ खुब मचाते

दादा दादी से कोई ना प्यारा , प्रेम है उनका जग से न्यारा



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