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Veena Mishra ( Ratna )

Children Stories

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Veena Mishra ( Ratna )

Children Stories

मेरा गाँव

मेरा गाँव

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बरगद की छाँव में, मेरे गाँव में।

लगती थी होड़, कौन सकता है तोड़।

वो कच्ची कैरी, ताऊ को बनाकर बैरी।

गाँव भर की खबर, किसकी मिल रही नज़र।

किसका बढ़ा व्यापार, कहाँ है दौलत की अंबार।

बरगद की छाँव में, मेरे गाँव में।

अब भी है शोर, मगर नज़ारा है कुछ और।

बड़े - बूढ़े मोबाइल से हाल बताते,

उसी से खेल बच्चे धाक जमाते।

अब कबड्डी और पकड़न - पकड़ाई अबोध कहाते।

साथ बैठे पीठ में पीठ सटाए,

पर सब लगते गूँगे से,

देखे सब मोबाइल में अलग -2 नजारे ।

भीड़ है वही , पर अपनापन नहीं।

बरगद की छाँव में ,मेरे गाँव में।



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