उम्मीद
उम्मीद
जिंदगी चले उम्मीद के सहारे ,
मन तू क्यों हिम्मत हारे।
माना कि नींद नहीं आँखों में,
चैन कहाँ अब बातों में।
विरान दिखे शहर सारा,
डरा सहमा मानव बेचारा।
इक विषाणु के समक्ष ये जग हारा,
दिखे न कहीं कोई सहारा।
मगर एक दिन तो इस चक्रव्यूह को भेद देंगे,
मन तू क्यों हिम्मत हारे ,
जिंदगी चले उम्मीद के सहारे।