कोरोना में रक्षाबंधन
कोरोना में रक्षाबंधन
इस बार कैसा होगा रक्षाबंधन...
महीनों से दिल कर रहा है मंथन।
कोरोना ! तुने जीवन अनोखा कर दिया
मन में शंकाओं का घर कर दिया।
तुझे क्या लगा?कि हर रंग को भंग कर दिया
त्यौहारों का उमंग छिन लिया।
दूर है जो भाई बहन उन्हें रंज दे दिया
हर राह में अमंगल भर दिया।
बाँधती हूँ दुआ जिस कलाई पर
उस माथे कैसे करूं तिलक बिन कोरोंटिन।
कोरोना तुने बस थोड़ा रीत बदल दिया
पर हमने तो हार को जीत में बदल दिया।
मन की आँखों से राखी बाँध दिया
रिवाजो को र्वचुअल निभा दिया
तेरे कहर का मुँह तोड़ दिया
देख मैंने इतिहास जोड़ दिया।
सुन कोरोना - तुने तो कुछ दिनों का दर्द दिया
भाई -बहन ने तो अनेको मुश्किल को मात दिया।
अब तक रत्ना ने हँस के जिया
सच कहूँ तो कोरोना तुझे हरा दिया।
इस बार मैंने अनोखा रक्षाबंधन बना दिया -२।