प्रेम उत्सव
प्रेम उत्सव
1 min
335
हवा की मदहोशी जता गई,
ऋत मोहब्बत की आ गई।
इंद्रधनुषी हुई धरती सारी,
प्रेम ऋतु बसंती आ गई।
मौन आमंत्रण से बचा न कोई,
तितलियाँ भी दीवानी हो गई।
अधरों पर हर पुष्प के,
इश्क की निशानी हो गई।
इंद्रधनुषी हुई धरती सारी,
प्रेम ऋतु बसंती आ गई।
चाहत में धड़कने रुमानी हो गई,
अहसास दिलो में गुलाबी हो गई,
बेखौफ हुई हर तरफ आशिकी,
प्रेम उत्सव में जिंदगी नूरानी हो गई,
इंद्रधनुषी हुई धरती सारी,
प्रेम ऋतु बसंती आ गई।