क्या इस नवरात्रि ऐसा होगा?
क्या इस नवरात्रि ऐसा होगा?
जब - जब मैं पूजती हूँ माता तुम्हें,
यही आस मैं रखती हूँ मन में।
इस बार की नवरात्रि असर करे,
किसी नगर किसी गली में असुर ना रहे।
कोई नर अब पशुता ना करे,
मासूम नन्ही कन्या से।
शायद उसमें पुरुष जगे,
किसी नारी का शील ना हरे।
भले ना पूजो पैर उसके,
देवी, दुर्गा ना मान भले।
बस इंसान ही मान ले,
तुम जैसे ही उसमें भी जान है।
यही आस मैं रखती हूँ मन में,
जब -जब मैं पूजती हूँ माता तुम्हें।