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Rinki Raut

Children Stories

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Rinki Raut

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मेरे गाँव की तस्वीर

मेरे गाँव की तस्वीर

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एक गोरैया ने आवाज़ लगाई

इस कंक्रीट के जंगल में नहीं


गाँव में ज़िन्दगी आज भी है समाई

आज भी चिडियों के झुंड दिखते है 


शाम में गोधूली उड़ती है

बरगत के पेड़ के नीचे 

ज़िंदगी ले अंगड़ाई 


आकाशवाणी के बोल देती है सुनाई

सुबह की बेला में लिपा हुआ चूल्हा और अगन


बिना पढ़ाई के बोझ तले दबा बचपन

देता दिखाई 


आम, बेरी, महुआ, अमरुद को घेरे बच्चे

हवाओ में महुआ की महक

खेतो में पुरवाई की चहक

 

आज भी है गाँव में यादों की महक

बरगत के पेड़ के नीचे ज़िंदगी ले अंगड़ाई।


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