बरगद की छांव
बरगद की छांव
बरगद की छांव
हमारे गांव की जैसे
सबसे पवित्र जगह थी
जहां मिलता है
सुकून और आत्मीयता
दोस्तों के संग
यह बरगद का पेड़ पुराना
लगता था दोस्त सुहाना
खूब उसकी घनी डालियों में
खेलते थे सब छूप्पम छुपाई
बहुत मज़ा आता था
शकुन कितना मिलता था
वर्षों बाद कैसा
बदलाव आया जमाने में
अब वो बच्चों का खेलना
चिड़ियों की कलरव
तोतों की आवाज़
और छांव तले
रंभाती गाय - भैंस
और पूजा करने आती
गांव की महिलाएं
यह सब अब जाने
कहां खो गया
कहते है कि
बरगद के पैड़ में
ब्रह्मा, विष्णु, महेश
निवास करते हैं
यह बूढ़ा बरगद का पैड़
मात्र पैड़ ही तो नहीं
वह तो एक पिता की
तरह संरक्षण देता था
बिना भेदभाव के!
