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नविता यादव

Children Stories

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नविता यादव

Children Stories

बुढ़ापे के अजीब रंग

बुढ़ापे के अजीब रंग

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बुढ़ापा उम्र का वो पड़ाव

जिसमे ना तो इंसान बच्चा रहता है और ना ही बड़ा ही रहता हैं

यानी की सबसे डेंजरस जोन

उसके लिये नहीं जो बूढ़ा-बूढ़ी है

बल्कि उसके लिये जो उनके आस-पास है।।


सनक इस उम्र में ऐसी चढती हैं

जिसकी कानों-कान किसी को भनक भी नहीं लगती

मैं ही हूँ ,मैं ही हूँ सब कुछ का नारा बुलंदियों पर होता है

पूजा पाठ कर रहे होते है,,पर ध्यान बाकी लोगो की बातो में होता है।


कुछ समझा आप सकते नहीं

जवाब उल्टा दे सकते नहीं

और तो और गजब तो तब होता है

जब डॉक्टर कुछ खाने-पीने के लिए मना करता है

तब इन लोगों का मन उस चीज को ही खाने-पीने को करता है

तब देखो सास- बहू का सीरियल भी फ़ेल हो जाता हैं

घर के अंदर देखने लायक नजारा होता है।।


बूढ़ा और बच्चा एक समान होता है

अन्तर सिर्फ यही रहता है

बूढ़ा टीन एज वाला बच्चा होता है

जिसको सब्र के साथ देखना पड़ता है

जिसके साथ घर पर अनुशासन बना रहता है

इनके रहनें से घर के आँगन में

रौनक का माहौल बना रहता है।।



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