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Dr.Purnima Rai

Drama

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Dr.Purnima Rai

Drama

भीग गई वसुधा (चोका)

भीग गई वसुधा (चोका)

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हवा के झोंके

छू रहे तन - मन


निश्छल यादें

बरबस उतरी

मन के द्वार


अंखियों का पैमाना

ज्यों ही छलका

बादलों से टपकी

बूँद - बूँद से

भीग गई वसुधा


विरहाग्नि में

मूसलाधार वर्षा

हृदय नभ

हो गया आह्लादित


प्रिय मिलन

अनोखा प्रकृति का

भीनी सुगंध

आने लगी धरा से

पुलकित अंगागी...।






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