STORYMIRROR

Dr.Purnima Rai

Drama

2  

Dr.Purnima Rai

Drama

भीग गई वसुधा (चोका)

भीग गई वसुधा (चोका)

1 min
13.9K


हवा के झोंके

छू रहे तन - मन


निश्छल यादें

बरबस उतरी

मन के द्वार


अंखियों का पैमाना

ज्यों ही छलका

बादलों से टपकी

बूँद - बूँद से

भीग गई वसुधा


विरहाग्नि में

मूसलाधार वर्षा

हृदय नभ

हो गया आह्लादित


प्रिय मिलन

अनोखा प्रकृति का

भीनी सुगंध

आने लगी धरा से

पुलकित अंगागी...।






Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama