भीग गई वसुधा (चोका)
भीग गई वसुधा (चोका)
हवा के झोंके
छू रहे तन - मन
निश्छल यादें
बरबस उतरी
मन के द्वार
अंखियों का पैमाना
ज्यों ही छलका
बादलों से टपकी
बूँद - बूँद से
भीग गई वसुधा
विरहाग्नि में
मूसलाधार वर्षा
हृदय नभ
हो गया आह्लादित
प्रिय मिलन
अनोखा प्रकृति का
भीनी सुगंध
आने लगी धरा से
पुलकित अंगागी...।