भैंस और उड़न तश्तरी
भैंस और उड़न तश्तरी
एक भैंस जोर से हुंकार मारी
पास बैठी भैंस को पुकारी
कहने लगी बहन,
क्या ऐसा ही रहेगा जीवन अपना
क्या पूरा नहीं होगा कोई सपना
अब यहां पर मन नहीं लगता
तबेला छोड़ने का जी करता
पास में बैठी भैंस बोली
सुन मेरी बहन भोली,
तू , इतना क्यों घबराती है,
समस्याएं तो सबके साथ आती है,
हां यह जरूर सुना है कि
अब, जानवरों में भी बीमारी आने वाली है
यह खबर जरूर, सब को डराने वाली है,
भैंस ने कहा, बहन तू घबराना मत
हम रोज की तरह जंगल चरने जाएंगे,
वहां जो उड़न तश्तरी आती है उसमें बैठ जाएंगे
जैसे लोग बीमारी के नाम पर देश छोड़ रहे है
वैसे हम भी तबेला छोड़, दूर देश पहुंच जाएंगे,
इतने में मालिक तबेले में आया,
भैंसो को डंडा मार कर उठाया,
डंडा खाते ही टूट गया उड़न तश्तरी का सपना,
रोज की भांति भैंसे चारे खाकर, दूध देने लगी अपना