इश्क है....
इश्क है....
मोहब्बत का दर्द दिल में छुपाया बहुत है,
सच कहूँ उसकी मोहब्बत ने रुलाया बहुत है
तेरी शिकायत किस से करे...
हर शख्स को तुझे अच्छा बताया है..!!
तुझे मुझ पे, यकीन आने से रहा!
तू मुझे मोहब्बत का, सच बताने से रहा!
अच्छे अच्छे दरख़्त भी, झुकते देखे है,
मेरा, पुराना रिश्ता मयखाने से रहा!
ज़िद की ज़िद है जिद पर भारी,
मैं अब, किसी गैर के पास जाने से रहा!
बैठा हूँ मैं भी, थाम हथेली तेरी,
कसम तेरी ₹, मैं भी घर जाने से रहा!