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DrNikesh Kumar

Children Stories Comedy

4.8  

DrNikesh Kumar

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सूरज के लिए भगवान की रजाई

सूरज के लिए भगवान की रजाई

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देखिए यह श्रीनगर है !

जब बर्फ धरा पर गिरती है

तापमान माइनस हो जाता है

हम इलेक्ट्रिक ब्लैंकेट में सोते हैं

सूरज को ठंडा लगता है ।


नित्य सवेरे वह जग जाता है

धरा पर फैला बर्फ पिघलाता है

पानी भाप बन उड़ता जाता है

और ऊपर उन्हें नहलाता है

तब सूरज को ठंडा लगता है।


फिर चंदा मामा को दे आकाश

बादलों को बुला लेता वह पास

पश्चिम देश चला जाता है

तारों की लड़ी सजाता है

मेघ गर्जन की डी.जे बजाता है

घटाघोप अंधेरा लाता है

और बारिश रूपी रम पी सो जाता है

क्योंकि सूरज को ठंडा लगता है।


अभी-अभी मैंने आपसे कहा -कि

सूरज को ठंडा लगता है

और आप यूं ही मुस्कुरा दिए थे

आज काफी सवेरे से

भगवान सूरज के लिए रजाई बून्न रहे हैं

रुई धून रहे हैं

और सबकी सुन रहे हैं।


तभी तो बर्फ के लुगदे हैं कि थमते ही नहीं

बस गिरे जा रहे

अरे सूरज है भी तो बहुत बड़ा

तो उसकी रजाई भी तो काफी बड़ी होगी

शायद शाम तक रुई धूनाता रहेगा।

फिर होगी रजाई तैयार

और सूरज दादा ओढ़ उसे

भगाएंगे ठंड को पार।


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