भारत
भारत
ये त्याग भूमि है मुनियों की
जन कल्याण ही था बस कर्म यहां,
ये भव्य धरा उन ऋषियों की
परमार्थ ही था जिनका धर्म यहां।।
हम वंशज उन्हीं भगीरथ के
जो गंगा मां को ले आए,
यहीं पले थे राम कृष्ण
जन जन के मानस पर जो छाए।।
रज भारत भूमि
निज मस्तक पर
धारण करने में गर्व करें,
है गणतंत्र दिवस
सब हर्षित हों
आओ मिल कर हम पर्व करें।।
