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Jyoti Naresh Bhavnani

Tragedy

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Jyoti Naresh Bhavnani

Tragedy

बेरोज़गारी ने सितम है ढाया

बेरोज़गारी ने सितम है ढाया

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बेरोज़गारी ने आज कितना सितम है ढाया,

कितनों को इसने लाचार है बनाया।


बच्चों ने बड़ी बड़ी डिग्रियों को है पाया,

पर रोज़गार उन्हें कहीं मिलने न पाया।


रोज़गार के चक्कर ने उन्हें इधर उधर है दौड़ाया,

पर ढंग का रोज़गार उन्हें मिलने न पाया।


सरकारी नौकरी पर सरकार ने प्रतिबंध है लगाया,

निजी क्षेत्र ने मौक़े का फायदा है उठाया।


हारकर नौकरी ने बच्चों को विदेश है पहुंचाया,

जहां उनके अनुसार ही उन्हें सब कुछ मिलने है पाया।


मां बाप ने कितने अरमानों से बच्चों को है पढ़ाया,

और कितने सपनों को है मन में सजाया।


बच्चों के भविष्य के लिए अपना सारा जीवन है बिताया,

अपनी खुशियों को भी उन्हीं पे ही है लुटाया।


पर उनके सुखों का जब वक्त है आया,

तब रोज़गार ने उनके बच्चों को विदेश में पहुंचाया।


बेरोज़गारी ने मां बाप को कितना बेबस है बनाया,

बुढ़ापे में उनको उनके बच्चों से है छुड़ाया।


अपने बच्चों के होते हुए भी औरों पर आश्रित है बनाया,

उनके सपनों को तोड़कर उन्हें ख़ून के आंसुओं को है पिलाया।




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