Sameer Faridi

Romance

4.0  

Sameer Faridi

Romance

बेइम्तिहां....

बेइम्तिहां....

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"बिना मिले, तुझे प्यार करते हैं,

 बेइम्तिहां, बेशुमार करते हैं।

 तक़दीर ने शायद मिलाया है आपसे,

 तक़दीर पर अब ऐतबार करते हैं।


तुझ में गुनगुनाता हूँ, 

अब तुझ से मुस्कुराता हूँ।

चुपके से हाथ पे लिखकर,

बस तेरा नाम दोहराता हूँ।

अब अपना ख्याल होता नहीं हमसे,

तेरे लम्हों में अपनी, जां निसार करते हैं,

बिना मिले, तुझे प्यार करते हैं,

बेइम्तिहां, बेशुमार करते हैं।


तेरा खुलकर मुस्कुराना,

हाँ-हूँ में जवाब का देना,

आना-जाना, छोटी-छोटी बात पर मुँह फुलाना

रोना, सताना, जलाना सबका हिसाब करते हैं।

बेइम्तिहां, बेशुमार करते हैं,

बिना मिले, तुझे प्यार करते हैं।


तेरी मोहब्बत का तरीका अच्छा लगता है,

तेरे रूठने का सलीका अच्छा लगता है।

आँख बंद करके भी यकीन करते हैं आप पर,

तेरा हर लफ्ज़ हमे सच्चा लगता है।

तेरी अठखेलियां सहेज कर रखता हूँ,

सारी पहेलियां सहेज कर रखता हूँ,

मेरे अपनों से बातें तेरी, सुबह शाम करते हैं,

बिना मिले तुझे प्यार करते हैं,

बेइम्तिहां, बेशुमार करते हैं।


जितना मासूम, मिज़ाज उतना तीखा है,

मोहब्बत का तरीका मैंने उससे सीखा है,

कुछ बाकी है, कुछ और सीखना है,

जब तक जीना है, सिर्फ उसमें जीना है।

तेरी मोहब्बत को सर-आँखों पर सजाया है,

हो मोहब्बत की तौहीन आपकी, 

ये अस्तग़फ़ार करते हैं,

बिना मिले, तुझे प्यार करते हैं,

बेइम्तिहां, बेशुमार करते हैं।"


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