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Archana Saxena

Comedy

4.5  

Archana Saxena

Comedy

बेचारी पड़ोसन

बेचारी पड़ोसन

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इक दिन गई पड़ोसन के जो बढ़ते वजन से बहुत दुखी थी

चेहरे पर छाई मायूसी हाथ तराजू पकड़ी हुई थी

मुझे देख थोड़ा सा खिली वह चेहरे पर मुस्कान थी आई

बोली बड़ी ही उलझन में थी अच्छा हुआ जो तुम चली आई

देखो जरा तराजू को कि कौन सा पलड़ा है भारी

मुझे तो लगता डायटीशियन की मति गई बिल्कुल मारी

एक ओर कहती है मुझसे नापतौल के खाया करो 

हल्का भोजन चबा के खाओ और न वजन बढ़ाया करो

दूजी ओर कहती फल खाओ इनमें कैलोरी कम होती

आदतें बदलोगी जब तुम तो कोई न कहेगा फिर मोटी

मैंने देखा एक पलड़े में रखे हुए सेब थे चार

दूजी ओर गुलाब जामुन गिनती में वो भी थे चार

चार गुलाब जामुन का बोझ कम सेब का पलड़ा था भारी

पल भर में ही समझ में आई बेचारी की लाचारी

मैं भी डाइटीशियन को साथ में खोटी खरी सुना आई

प्यार से मुँह में भरके मिठाई हिम्मत उसकी बढ़ा आई।


   


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