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Raju Kumar Shah

Tragedy

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Raju Kumar Shah

Tragedy

बेबस बन गई!

बेबस बन गई!

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एक गुजारे के लिए!

उससे कहा-

उसके सहारे के लिए!


उसने दिल में जगह दे दी,

हाथ न पकड़ा,

अदृश्य सा रखा,

एक रिश्ता तगड़ा,

बेबस बन गई बेचारे के लिए!


कर्ज बनकर अब जिंदा रहना,

जो न मिले उसकी तमन्ना करना,

मेरे लिए उसका दुखना,

उसके लिए मेरा दुखना,


जैसे चांद का तड़पना,

 दूर तारे के लिए!

 बेबस बन गई बेचारे के लिए!!



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