बेबस बन गई!
बेबस बन गई!
एक गुजारे के लिए!
उससे कहा-
उसके सहारे के लिए!
उसने दिल में जगह दे दी,
हाथ न पकड़ा,
अदृश्य सा रखा,
एक रिश्ता तगड़ा,
बेबस बन गई बेचारे के लिए!
कर्ज बनकर अब जिंदा रहना,
जो न मिले उसकी तमन्ना करना,
मेरे लिए उसका दुखना,
उसके लिए मेरा दुखना,
जैसे चांद का तड़पना,
दूर तारे के लिए!
बेबस बन गई बेचारे के लिए!!