बदली छाई
बदली छाई
उमड़ - घूमड़ बदली है छाई
और चले पवन पुरवाई
चमकी बिजली गगन में
बरसात में तेरी याद आई।
बारिश में संग- संग भीगना
अंतर्मन में तूफान मचलना
हाथों से मुंह ढंक तू शरमाई
बरसात में तेरी याद आई।
जब भी देखूं मेघ बरसता
जल बिन मीन सा तरसता
अब सही न जाए ये जुदाई
बरसात में तेरी याद आई।
कड़क कड़क बादल बरसे
मिलने को मेरा ये मन तरसे
चले पवन शीतल पुरवाई
बरसात में तेरी याद आई।
