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V. Aaradhyaa

Drama Fantasy

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V. Aaradhyaa

Drama Fantasy

बदली छाई

बदली छाई

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उमड़ - घूमड़ बदली है छाई

और चले पवन पुरवाई

चमकी बिजली गगन में

बरसात में तेरी याद आई।


बारिश में संग- संग भीगना

अंतर्मन में तूफान मचलना

हाथों से मुंह ढंक तू शरमाई

बरसात में तेरी याद आई।


जब भी देखूं मेघ बरसता

जल बिन मीन सा तरसता

अब सही न जाए ये जुदाई

बरसात में तेरी याद आई।


कड़क कड़क बादल बरसे

मिलने को मेरा ये मन तरसे

चले पवन शीतल पुरवाई

बरसात में तेरी याद आई।


 


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