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JAYANTA TOPADAR

Drama Tragedy Crime

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JAYANTA TOPADAR

Drama Tragedy Crime

बदल रहे हैं लोग...

बदल रहे हैं लोग...

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वस्तुवादी मनोभाव से

अपनी ही धुन में

अपने बारे में ही सोचते हुए

भागमभाग भरी रोज़मर्रा की

व्यस्त ज़िन्दगी जीने को

आदी हो चुका है आज का 

तथाकथित आधुनिक मानव...


मोबाइल फोन तक

'रिसिव' करके

एक मिनट धैर्यपूर्वक

किसी इंसान की

'ज़रूरी बातें' तक

सुन लेने को

(ऐसा लगता है कि)

आज के 'तथाकथित'

विकसित-उन्नत-आधुनिक

मानव के पास) समयाभाव है...!!!

लोगों से

तह-ए-दिल से

मिलने की

कल्पना तक करना

गलत होगा,

क्योंकि आज 'उनको'

दूसरों की

कोई फिक्र ही नहीं...


ऐसे कैसे इतना

बदल रहे हैं लोग...???


न जाने

किस मंज़िल की

तलाश है उनको,

जो कुछ हद से

ज़्यादा ही

'वस्तुवादी' हुए

जा रहे हैं...


वो जो आज अपनी

धन-दौलत-ऐशो आराम की वजह से...

अपने दोस्तों, पहचान के लोगों को

तवज्जोह नहीं दे रहे हैं...

एक दिन जब 'क्षणभंगुरता भरी' 

वस्तुवादी ज़िन्दगी से

तंग आकर वो 

'इंसानों की' तलाश करेंगे वो लोग,

तो उनकी हाथों की लकीरों में

सिर्फ 'तन्हाई-ही-तन्हाई' मिलेगी...

और कुछ नहीं...!!


इसलिए आज हमें

'ज़िन्दा' लोगों का

समाज चाहिए,

'मुर्दा' लोगों से क्या काम !!!


चलिए, हम 'ज़िन्दादिली' को

सलाम कर

मशीनीकृत मानवों का

तीव्रता से बहिष्कार करें...!!!


चलिए, हम सब मिलकर

इस समाज को

पुनर्जीवित करें...!!!



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