हाँ , मेरा मेहबूब बदल गया !
हाँ , मेरा मेहबूब बदल गया !
हाँ, मेरा मेहबूब बदल गया
हाँ, मेरा हमसफ़र बदल गया
अपने रिश्ते को एक मिसाल बनाना चाहता था जो
आज वो प्यार का मतलब तक भूल गया !
फक्र से मेरा हाथ पकड़ कर घूमना पसंद करते थे जो
सरेआम देखकर आज मुँह फेर लेते हैं
पर बात जब बंद कमरे पर आए
तो न जाने कैसा हक़ दिखाना चाहते हैं वो !
मेरी तरफ बढ़ते तुम्हारे कदमो से
मेरा दिल थम सा जाता है
किसको पता था यार
मोहब्बत का एक ये पहलू भी होता है !
मेरे गालों पर चलती तुम्हारी धीमी सी उँगलियों से
अब डर लगता है
तुम्हारा हवस भरी निगाहों से मुझे देखना ही
मेरे पुरे बदन को गंदा कर देता है !
आज भी याद है वो दिन जब पहली दफा
मेरे माथे को छोड़ मेरे होठों को चूमा था
मेरे हाथों को न पकड़ कर
मेरी कमर से मुझको पकड़ा था !
न जाने कैसे तुम्हारा प्यार बदल गया
पर उस दिन एहसास हुआ
की हाँ मेरा मेहबूब बदल गया !
तुम्हारी प्यार मोहब्बत की बातों पर
अब यकीन कहाँ होता है
जिसे जान बनाया था वो बदल गया
अब इस अंजान का मुझपर क्या हक़ बनता है !
मेरा जिस्म चाहिए था
तो मेरी रूह से वादा क्यों किया
सब कुछ न्योछावर था तुम पर
फिर मेरे इश्क़ के साथ समझौता क्यों किया ?
मन भर गया था तो वैसे बता देते
मेरी रूह का क़त्ल करने के लिए
मेरे जिस्म का सहारा क्यों लिया ?
जाने क्यों यहां लोग बदल जाते हैं
दिन ढलते ही अपने वादे भूल जाते हैं
जिस्म को रूह से ऊपर रख देते हैं
फिर पलक झपकते ही अपनी मोहब्बत भूल जाते हैं !
चेहरे पर नहीं दिल पर मरना सीखो
ऐसी बातें हर कोई हज़ार करता है
पर बात जब खुद पर आए
तो वो भी शुरुवात रंग रूप से ही करता है !
अरे, काले दिल के आगे हुस्न का क्या करोगे
फिर ताने तुम "बेवफा" होने के सुनाओगे
ज़ब्त-ए-इश्क़ के कहाँ दिखते हैं आसार
दो दिन के बाद किसी ओर की
बाहों में मिलता है आपका प्यार !
लोगों के बदलने का यहां दस्तूर हो गया
कुछ दिन बाद आप भी बोलोगे
हाँ, मेरा मेहबूब बदल गया
जिस दिन उनकी ज़िंदगी में
आपकी एहमीयत ख़त्म हो गई
उस दिन आप भी बोलोगे
हाँ, मेरी मेहबूबा बदल गई
हाँ, मेरी मेहबूबा बदल गई !
