कान्हा का जन्मदिन
कान्हा का जन्मदिन
कान्हा का जन्मदिन है, ओ बड़ी धूम मची ब्रज में,
कण कण में हो गिरधारी, तेरी भक्ति है रज रज में।।
मां देवकी के तुम जाए, फिर नंद के घर तुम आये,
मैया यशोदा की गोद भरी,बड़ो आनंद है गोकुल में,
कान्हा का जन्मदिन है, ओ बड़ी धूम मची ब्रज में।।
नाग कालिया को बांधा, हरि ने गोवर्धन साधा,
गोपियन के भी वस्त्र हरे, लीला तेरी हर पल में।
कान्हा का जन्मदिन है, ओ बड़ी धूम मची ब्रज में।।
जब कंस को था मारा, और मथुरा को था तारा ,
पिता वासुदेव की पीर हरी, तुमने प्रभु पल भर मे,
कान्हा का जन्मदिन है, ओ बड़ी धूम मची ब्रज में।।
जब गरीब सुदामा की, तुम तक थी व्यथा आयी,
नंगे पांव प्रभु हैं दौड़े, लिया मित्र आलिंगन में,
कान्हा का जन्मदिन है, ओ बड़ी धूम मची ब्रज में।।
जब द्रौपदी सम नारी, पति ने थी जूए में हारी,
तब लाज बचाई थी, गिरधारी ने उस क्षण में,
कान्हा का जन्मदिन है, ओ बड़ी धूम मची ब्रज में।।
रण कुरुक्षेत्र का भारी, तब अर्जुन की दुविधा टारी,
गीता का पाठ पढ़ाया, तुमने रण भेरी के गुंजन में,
कान्हा का जन्मदिन है, ओ बड़ी धूम मची ब्रज में।।
मुझे अपनी शरण ले लो, मेरे इष्ट न मुझसे खेलो,
है इतनी अरज मेरी, अब बसजाओ मेरे मन में,
कान्हा का जन्मदिन है, ओ बड़ी धूम मची ब्रज में।।
जिनका नाम कन्हइया है, जिनकी यशोदा मैया है,
राधा रानी के नटवर वो, बसें मेरे मन वृंदावन में,
कान्हा का जन्मदिन है, ओ बड़ी धूम मची ब्रज में।।
