Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Sambardhana Dikshit

Drama Romance Tragedy

4  

Sambardhana Dikshit

Drama Romance Tragedy

मोहब्बत से आखिरी मुलाक़ात

मोहब्बत से आखिरी मुलाक़ात

2 mins
384


सफ़र अनजाना सा हमसफ़र भी अनजान 

सड़कें थी भीड़ सी गंतव्य था गुमनाम 

हमारी मुलाक़ात भी कुछ यूं हुई

बातें लबों से कम एहसासों में ज्यादा हुई 

बातों की आड़ में तुमने कुछ ऐसा पूछ लिया 


सीधे थे शब्द पर मतलब कुछ अलग बना दिया 

शब्दों की हेरा फेरी में तुम व्यस्त थे 

हम तो बस गुत्थी सुलझाने में लगे थे 

पहेली सी बन गई थी घड़ी

मुश्किल सी लगने लगी थी वो कड़ी

वक़्त गुज़रा फिर कुछ सवाल जवाब से 


वो पल तय कर रहा था सफ़र कई ख्वाबों से

एक क्षण तो लगा बस यह यहीं खत्म हुआ 

पर जान में तो जान तब आई जब सफ़र थोड़ा लम्बा हुआ 

रेत के फिसलने की तरह वक़्त कब जाने बीत गया 

ना उन्हें खबर थी ना मुझे पता चल पाया 


खैर ! हम खुश थे उस हर एक पल में 

जी रहे थे हर पल को जैसे ना मिलेगा मुझे ये मेरे कल में 

सफ़र के बाद भी बातें मुलाकातें हुई

संग हर पल बिताने की रस्में कस्मे भी खाईं


मिलने लगे थे गुनगुनाने भी लगे थे 

पल गम का था या खुशी का बस हम संग जीने लगे थे 

जहां ख्वाब देखे थे जीवन संग बिताने के 

वो हकीकत में बदल रही थी सामने आंखों के 

विश्वास ना हुआ जब तुम्हें अपने इतने पास पाया 


होश तो तब आया जब मेरी मांग में तुमने सिंदूर सजाया

गूंज रही थी आवाज़ हर ओर से खुशियों की

हवा भी गुनगुना के बधाइयां दे रही थी मिलन की 

छिप छिप के मिलने की ऋतु अब खत्म हुई 


बातें थी जो अधूरी वो अब पूरी हुई 

बूंदें बरसते देखा, भीगे हम साथ बरसातों में 

बर्फ का गिरना देखा साथ ठंड भरी रातों में

बस हर पल हर मौसम यूं गुजरता गया 


बीतते लम्हों में हमारा प्यार ज़रा जरा बढ़ता गया 

जो ख्वाबों में ना सोचा था वो वक़्त सामने खड़ा था 

मिलन के उस पर्व में अब जुदाई का रंग चढ़ा था 

क्या हुआ ! क्यू हुआ ! समझना मुश्किल हो गया था 


जवाब ढूंढ़ने में ही आखिरी वक़्त सामने आ चुका था 

हाथ छूट रहा था साथ खत्म हो रहा था 

रूह कांप रही थी दिल धड़कना भूल चुका था 

बस कुछ ही पलों में सब कुछ खोने जा रहा था 


शरीर मेरे सामने था पर साया उस पार जा चुका था 

कैसे हुआ ये क्यों किया तुमने ऐसा 

साथ ना छोड़ोगे कहकर बीच में ही दगा किया क्यों ऐसा

क्यों अधूरी रही ये मोहब्बत


क्यों रब ने मुकम्मल ना की मेरी इबादत 

मुलाक़ात मोहब्बत इबादत सब अधूरी रह गई 

बस ये सोचते सोचते ही मेरी रूह भी मुझसे बीछड़ने लग गई 

जो मोहब्ब्त - जो मुलाक़ात अधूरी थी


अब वो वहां पूरी होने वाली थी 

मोहब्बत यूं कैसे खत्म होने वाली है !

बहुत जल्द मेरी तुम्हारी अधूरी मोहब्बत से

आखिरी मुलाक़ात होने वाली है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama