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प्रीति शर्मा "पूर्णिमा

Inspirational Others Children

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प्रीति शर्मा "पूर्णिमा

Inspirational Others Children

बचपन

बचपन

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क्या कहा? 

बचपन...

वो तो चला गया...!!

कहां गया बचपन...?

खो गया...क्या....??

आधुनिक जीवन की

आपाधापी में,

पढ़ाई के बोझ में,

मां पिता की व्यस्तताओं में,

एकल होते परिवारों की मजबूरी में,

या इलैक्ट्रोनिक मीडिया के प्रचलन में..???


ना...ना...ना...

बैठा है दिल के

किसी छोटे कोने में

समय के इंतजार में।

जैसे ही मिलता है मौका

फटाक से निकल आता है।

उम्र चाहे गुजर चुकी बचपन की

हो गये हों चाहे अब हम पचपन के।


आज भी हँस लेते हैं

वक्त-बेवक्त खिल-खिलाकर

ठठाकर, तालियां मार या शर्माकर।

कर देते छोटी-छोटी गलतियां

या हरकतें, बालकों जैसी

और खुद ही डांट लेते हैं

प्यार से खुद को।।


जी लेते हैं 

समय-समय बचपन

बच्चों के साथ।

पुराने दोस्तों से मुलाकात,

आंखों में तैर जाता

अद्भुत उल्लास।

और ज़िंदगी भर जाती

फिर जिंदादिल से,

जिंदगी से एक बार।।



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