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N.ksahu0007 @writer

Children

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N.ksahu0007 @writer

Children

बचपन की यारी

बचपन की यारी

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आज की यारी में एतबार नजर नही आता

जाँ तक दे, वो यारी, यार नजर नही आता


बरसो हो गए यार सुकूँ के दो पल बिताए

वो बचपन वाला इतवार नजर नही आता


मिलतें कहाँ है आज-कल वो सच्चे दोस्त

आज तो निःस्वार्थ प्यार नजर नही आता 


खबरे भी आज कल तो बनाई जा रही है।

वो बचपन का अखबार नजर नही आता


पैसे के पीछे आज हम सब पागल हो गए 

अबतो बचपन का संसार नजर नही आता


बचपन की दोस्ती रह गई है यारो पीछे अब

क्योंकि वो बचपन का प्यार नजर नहीं आता।


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