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Kanchan Prabha

Fantasy

4.8  

Kanchan Prabha

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बैरी चाँद

बैरी चाँद

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सारी दुनिया गहरी नींद समाए

ये चाँद ना मुझसे नैन लड़ाये

मेरे सामने घटा में जा छुपा है

ये चाँद मुझसे बैरी हो चुका है


पुछूं जो कभी पिया जी का हाल

इठलाता है न बताये कोई बात

शायद इसका भी दिल खो चुका है

ये चाँद मुझसे बैरी हो चुका है


कभी मुंडेरों की ओट छिप जाये

कभी पेड़ों की झुरमुट में समाए

मोती सा हृदय चकोर से पिरो चुका है

ये चाँद मुझसे बैरी हो चुका है


आकाश में लुक छिप क्यों जाता ये

बेदर्द मेरे हृदय को क्यों जलाता ये

निर्मोही चंदा शर्मो हया धो चुका है

ये चाँद मुझसे बैरी हो चुका है 

  


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