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Mitali Mishra

Abstract Fantasy

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Mitali Mishra

Abstract Fantasy

बारिश

बारिश

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जब भी बूंद-बूंद तू बरसती है,

सच आसमान से गिरती कोई 

मोती सी लगती है।

जब भी छम-छम कर तू बरसती है,

सच किसी नर्तकी के पायल 

की झंकार लगती है।

तेरे आने भर से पूरी कायनात

बदल सी जाती है,

नीला आसमान जो संदेश देती है

प्यार के शुरुआत की,

और हवा की ठंडी झोंका

खुशबू बिखेरती है,

मिट्टी की सोंधी सी 

महक को चारों ओर।

झूम उठते है पेड़-पौधे 

नई अंकुर देती है,

तेरे बरस भर जाने से 

हरी हो जाती है ये दुनिया,

ाजी सी लगने लगती है 

पूरी कायनात,

झूमती मचलती जंगल

और उस जंगल में बेसुध नाचता मोर

तेरे आने की खुशी जाहिर करती है।

नई खुशियों का एहसास 

तेरे आने से ही तो महसूस होता है

सच्चे प्यार का आगाज़ 

तेरे आने से ही तो जीवित होता है।

धरती के तपिश को 

पहाड़ों से गिरते झरनों को

गुलों और गुलिस्तां को

चारों दिशाओं को

जीव जंतु को

हम मनुष्य को

तेरे आने का इंतजार रहता है



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