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Mitali Mishra

Others

4.7  

Mitali Mishra

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फिर से

फिर से

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कुछ हम सा कुछ तुम सा

होगा वो हमदोनों के जैसा ।

नई उमंग,नई तरंग

जीवन में इंद्रधनुषी रंग,

फिर से भर लाएंगे,

फिर से बच्चपन लौट आएगा

फिर हम बच्चें बन जाएंगे ।

उसकी मुस्कुराहट पे

 फिर हम मुस्कुराएंगे,

उसकी रोनी सी सूरत पे,

फिर हम भी मायूस हो जायेंगे।

उसकी भोली सूरत,

मासूम सी मुस्कुराहट,

शरारत भरी आंखें,

होठों पे अल्फाजों की

तोतली जुबान,

उसकी नन्हे हाथों में अपनी

उंगली फंसाना,

उसके नन्हें नन्हें पैरों को

चूमना,

उसके बच्चपन को देख हम

फिर से अपना बच्चपन जिएंगे।

जो लोरियां हमने सुनी थी,

उन लोरियों को हम,फिर से दोहराएंगे

जो कहानियां हमने सुनी थी,

उन कहानियों को हम,फिर से जिएंगे।

लौट आएगा एक बार फिर से

हमदोनों का वो बच्चपन,

जब आएगा वो नन्हा सा फरिस्ता

जो होगा कुछ तुम सा कुछ हम सा।



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