बारिश...!
बारिश...!
जरा बाँहें फैलाकर इनका स्वागत किया करो सुना है..
ये बारिश की बूँदें बड़ी दूर से आती हैं
तुमसे मिलने, बातें करने तुमको ख़ुद में सराबोर करने
तो इन्हें प्यार से गले लगाकर भींग जाओ
इनमें रम जाओ तन से मन से
ये तुमको रोमांचित करेंगी / अनचाही /अनजानी / अनदेखी
ख़ुशी भर देंगी तुममे गुदगुदायेंगी
तुम्हारे आँसुओं को धो डालेंगी भींगो कर ख़ुद से
तुम इन बूँदों को चाहकर तो देखो
तुममें चाह भर देंगी जीवन के प्रति
प्रेम/ अनुराग से खिल खिल उठोगे तुम
ये बारिश की बूँदें हैं बड़ी दूर से आई हैं
बाँहें फैलाकर इन्हें अपना लो गले लगा लो।