बारिश
बारिश

1 min

351
आओ भीगें बारिश में
बंदिश तोड़ झिझक की हम
ओढ़ के बूंदों की चूनर
बिजली की ताल पे नृत्य करें
रंग जाने दें मिट्टी से बनी
इस देह को फिर से मिट्टी में
मैले कर कपड़े अपने
अंतर्मन धुल जाने दें
आशाओं के झूले पे
कुछ पींगे प्यार की तुम मारो
धीमे धीमे आँच पे हम
कच्चे रिश्तों को पकाते हैं।