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Alka Nigam

Romance

2  

Alka Nigam

Romance

बारिश

बारिश

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आओ भीगें बारिश में

बंदिश तोड़ झिझक की हम


ओढ़ के बूंदों की चूनर 

बिजली की ताल पे नृत्य करें


रंग जाने दें मिट्टी से बनी

इस देह को फिर से मिट्टी में


मैले कर कपड़े अपने

अंतर्मन धुल जाने दें


आशाओं के झूले पे

कुछ पींगे प्यार की तुम मारो


धीमे धीमे आँच पे हम

कच्चे रिश्तों को पकाते हैं।


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