बारिश, तेरी यादों का जरिया
बारिश, तेरी यादों का जरिया
भीग जाने दे मुझे इस बारिश में,
कभी इन बूंदों को तो
तेरा नाम दे सकूँ,
दे सकूँ इसे वो जगह
अपने दिल में,
उस जगह जिस में
मैं तुझे फिर से याद कर सकूँ,
हाँ भीगी होंगी मेरी आँखें,
भीगे होंगे मेरे होंठ भी,
पर कभी अकेलेपन में ही सही,
इस बारिश की वजह से
तुझे फिर से मैं अपना कहला सकूँ,
क्या फ़ायदा मुझे उस बरसात का
जिस में तेरा एहसास ही न हो?
क्या फ़ायदा मुझे उस बरसात का
जिस में आती
तेरी खुशबू ही न हो?
हर बूंद जो तेरा एहसास लिखना चाहूँ यहाँ ,
कभी एक मौका तो मिले
जहाँ अपनी खामोशियों को
तेरे इन बूंदों में नेहला सकूँ,
भले ही कुछ तूफ़ान ये ले आयी हो,
पर फिर भी इक सुकून सा रहता है,
रूठ जाऊँ भी अगर कभी,
ये अपनी बूंदों से मना लेता है,
कैसे खफा रह सकूँ उस चीज़ से
जो तेरी याद दिलाती रहे?
काश ले पाता मैं इसे आगोश में अपने,
जब तू नहीं तो तेरे एहसास को एक बार
अपनी बांहों में भर सकूँ...