बारिश की पहली बूंद जो ले गई दिल का सुकून
बारिश की पहली बूंद जो ले गई दिल का सुकून
छ दिन पहले की है बात यह
शाम का समय बादल गरज रहे थे।
बिजली चमक रही थी मन बहुत खुश था चलो बहुत गर्मी है कुछ तो ठंडक आएगी।
कुछ तो राहत आएगी ।
मिट्टी की सोंधी खुशबू के साथ मन को हर्षाएगी।
बरसात की पहली बूंद कुछ राहत लेकर आएगी।
45 डिग्री की गर्मी से हमको कुछ तो सुकून मिल जाएगा। मगर हाय रे किस्मत थोड़ी बरसात आई।
अपनी झलक दिखाई।
हमको खुश कर गई।
मगर उसके बाद लुप्त हो गई।
साथ में छोड़ गई उमस गर्मी कड़कड़ाती गर्मी।
ना दिन में चैन है ।
ना रात में चैन है ।
गर्मी का पारा तो 40 ,45 पर आज भी है।
पता नहीं कब बरसात अच्छी तरह बरसेगी ,और गर्मी वापस कम होगी ।
हमारे लिए बरसात सुकून लेकर आएगी।
बरसो रे मेघा बरसो रे।
दिल देकर के तुम बरसो रे। थोड़ी ठंडक हो जाए इतना तो तुम बरसो रे ।
बरसात की पहली बूंद सा नहीं पूरा दिल से तुम बरसो रे।
मृग मरीचिका दिखाकर गायब तुम ना हो जाना।
बरसो बरस इतना बरस की प्रकृति में ठंडक हो जाए।
हर तरफ सुकून की लहर फैल जाए।
मगर इतना भी ना बरस ना की तबाही आ जाए।
स्वरचित वैचारिक कविता
