"बाधाओं का सामना"
"बाधाओं का सामना"
बाधाएं तो आती रहेगी, इस जीवन पथ पर
अडिग होकर चलता जा, अपने कर्मपथ पर
यह जीवन क्या है, एक पानी का बुलबुला है
अपना अस्तित्व मिटे, उससे पहले तू न मर
इतनी मेहनत कर,कर्मरथ पर आरूढ़ होकर
सफलता भी पीछे-पीछे आये,तेरे यूं दौड़कर
जूं सावन में बादल आते है,घुमड़-घुमड़कर
हर जगह हरियाली हो,तेरे खुद के दम पर
एकबार तो यह आसमां भी छोटा लगने लगे
इतना ऊंचा तू अपने,हौसले का कद बुलंद कर
तू यूं टूट पड़,अपनी जिंदगी की बाधाओं पर
जैसे कोई नेवला टूट पड़ता सांप के फन पर
बाधाएं तो आती रहेगी, इस जीवन पथ पर
तू अपने दिल को, इतना ज्यादा मजबूत कर
जब बाधा
ओं से गुजरे, हंसी हो, तेरे लबों पर
बाधाओं के तम में कर्म दीप प्रज्वलित कर
तू इन जीवन की बाधाओं से लड़, अकड़कर
बाधाएं रोयेगी, तेरे सामने, फ़फ़क-फफककर
एकबार अपने भीतर पुरुषार्थ तू जिंदा कर
तू पत्थर पर भी साखी बहा, सकता निर्झर
बाधाओं का दरिया जरूर ही पार होगा, नर
इसके लिये तू भीतर इतनी ऊंची लहर कर
खोजे, मोती जिसके लिये तरसा, जीवन भर
जीवन लक्ष्य प्राप्ति हेतु, लहर उल्ट चल, नर
जो जीवन बाधाओं से लड़ने का रखते, हुनर
वो सफलता पाते है, कदम-कदम पर ही नर
जिनकी शूलों की ही होती है, चाहत की डगर
वो बाधाओं के सीना,पर उगते है, फूल बनकर।