"अवध श्रीराम आये हैं"
"अवध श्रीराम आये हैं"
जला दो दीप द्वारे पे तुम
अवध श्रीराम आये हैं।।
सजा दो घर बार अपने तुम
अवध घनश्याम आये हैं।
जला दो दीप द्वारे तुम
अवध श्रीराम आये हैं।।
हमारे आराध्य आये हैं
लगन उनसे हमारी है।
सजा लो हिया में उनको तुम
अवध प्रभुराम आये हैं।।
बसा लो मन के द्वार में तुम
सियावर राम आये हैं।
जपा करो! राम-नाम ही तुम
अवध सुखधाम आये हैं।।
लखन हनुमंत संग हैं राम
सिया तो प्राण-प्यारी हैं।
बजा लो तुरई-ढोल को तुम
अवध गुणधाम आये हैं।।
कर लें उद्घोष जय श्री राम
हमारे पूज्य आये हैं।
जलाओ! दीप खुशियों के तुम
अवध घनश्याम आये हैं।।
जला दो दीप द्वारे पे तुम
अवधा श्रीराम आये हैं।।