अतीत मेरा सामने
अतीत मेरा सामने
अतीत मेरा
पीछा नहीं छोड़ता,
मेरे कर्मों की सज़ा
हर रोज़ देता है।
अतीत गुजर तो सकता है
मग़र अपना निशान
गहराई तक
छोड़ जाता है।
मेरे गुनाहों की सजा
मुझे तब नहीं मिली,
मग़र आज वो तस्वीर
मेरे सामने खड़ी है।
जिस भूत को
मैं पीछे छोड़ आया था,
वर्तमान में वो
मेरी परछाई
बनकर खड़ा है।
