अंतिम यात्रा
अंतिम यात्रा
कभी बैठकर शमशान में
खुद को किया है महसूस
जीवन की अंतिम यात्रा में
शव के साथ चलना और
देह के राख होने तक
बैठकर दग्ध होती चिता में
सारे आतंरिक द्वंद की आहुति देना
कितने मिश्रित भाव जीते हैं हम
चिता की आग हरेक अश्क को
कर लेती है स्वयं में आत्मसात
अग्नि में समाहित होते आपके प्रिय
आपके लिए छोड़ जाते हैं बस कुछ यादें
और...
गंगा की धारा लेकर चली जाती है
चिता के भस्म की तरह आपके दु:ख
मोह, प्रेम, क्रोध आदि सब भावों को
और कुछ ही क्षणों में अदृश्य हो जाता है
वो शख्स, जिसे जाने नहीं देना चाहते हैं
आप स्वयं से दूर कभी...
