अनमोल
अनमोल
आज मैं फिर तुम्हारे पास आ गया हूं।
सुनाने में अपने दिल का हाल आ गया हूं।।
दिल की बेचैनी,
और दिल का हाल बताने आया हूं।
कुछ अपनी सुनाने, कुछ तुम्हारी सुनने आया हूं।
मैं तुम्हें ही नन्हीं कोपलो,
परिपक्व कभी होने नहीं दूंगा।
इसलिए,
यौवन के धोखे से तुम्हें बचाने आया हूं।
जैसे यौवन के चढ़ते ही,
छोड़ गया, मुझे मेरा दोस्त,
तुम्हें यौवन की दहलीज पर कदम कभी
मै रखने नहीं दूंगा।
चाहूंगा, मैं हर समय,
तुम नन्ही सी ही रहो,
जीवन में कभी तुम्हें यौवन के कांटों को,
छूने नहीं दूंगा।
क्या, वह कभी लौटकर नहीं आएगा,
वह कभी इन्हीं गलियों में,
हंसता और खिलखिलाता था,
अधरों पर रखकर बांसुरी,
वह हर दिन सबको नचाता था।
अधुरो पर रखकर बांसुरी,
वह हर दिन सबको नाच नचाता था।
कितनी सुखद मनोरम थी,
बांसुरी की उसकी तान ,
क्या अब नहीं सुनाई देगी,
अब वह बांसुरी की अजान।
क्यों अंधेरा चुपके चुपके पास उसके आ गया,
चुरा कर, उसको हमसे कहीं दूर वो ले गया है,
हे प्रकृति, है परियों, हे सभी देवी देवताओं,
कहां थे तुम,
जब वह मुझे छोड़कर जा रहा था,
कोई भी नहीं था ?
क्या कोई भी नहीं था ?
जो उसे मेरे लिये बचा पाता ?
हे प्रकृति, हे धरती तू उसकी धुन पर थी, नाचती,
अब कोई अलबेला नहीं आएगा,
जो गाने और अपनी धुन पर तुम्हें नचायेगा।
खुश होकर यह पेड़ भी अपनी,
पत्तियों को हिला हिला कर नाचते थे।
सूरज दादा तुम भी तो सरगम किरणों की बजाते थे।
कोई अलबेला नहीं आएगा,
जो तुम्हें अपनी धुन पर नाच नचाएगा।
बारिश की बूंदों और उनकी बांसुरी की आवाज,
नित्य मेरे कानों में सुनाई देती है,
सूरज की रोशनी और पौ फटने से पहले,
वह इस जंगल में,
झरनों के पास आ जाता था।
सुनकर झरना उसकी लय भरी आवाज,
और जोर-जोर से गरजता और चिल्लाता था।
हे पक्षी क्या तुम्हें भी नहीं सुनाई दी,
उसकी तड़पने की आवाज,
उसके बिना जंगल भी सुना,
सुनी तुम्हारी कलरव की आवाज !
अब क्या कभी कहीं से नहीं आएगा,
मेरा यार,
क्यों रूठ कर तुम चले गए,
काश मुझे भी तुम ले जाते अपने साथ,
कल कोई मेरा अपना भी ऐसे ही,
मेरे लिए क्या होगा उदास ?
क्या शोक गीत में तुम पर गांऊ,
तुम ही मेरे जीवन की थे आवाज,
तुम ही थे, पहले और तुम ही हो,
तुम्हारे जाने के बाद,
तुम खुद चलते फिरते गजल और गीत के थे अंदाज !
जैसे मैं हूं तुम्हारे लिए उदास हूँ,
क्या कोई होगा मेरे लिए भी उतना ही उदास,
क्या मुझ पर भी गाया जाएगा कोई शोक गीत?
अब कभी कहीं भी नहीं सुनाई देगी,
तेरी बांसुरी की वह मीठी आवाज,
थम गया, रुदन मेरे दिल का,
थम गया तेरी यादों का शोर
पर है नन्ही कोंपलो,
मै तुम्हें यौवन की दहलीज पर,
कदम कभी रखने नहीं दूंगा,
जैसे गया वह मुझे छोड़कर,
वैसे तुम्हें कभी भी मैं बिखरने नहीं दूंगा।
जैसे गया वह मुझे छोड़कर,
वैसे तुम्हें कभी मैं बिखरने नहीं दूंगा,
था, अनमोल उसके साथ बिताया हर पल,
हां...... हां हर पल,
वह कल भी था अनमोल,
वह आज भी है अनमोल।
